समास
दो या दो से अधिक पदों के संक्षिप्त करण की प्रक्रिया को समास कहते हैं तथा इसके परिणाम स्वरुप बने पद को समस्त या सामासिक पद के नाम से जाना जाता हैं।
समास का अर्थ है संक्षिप्त करना। कम करना या घटाना।
समास की परिभाषा
दो या दो से अधिक पदों के संक्षिप्त करण की प्रक्रिया को समास कहते हैं तथा इसके परिणाम स्वरुप बने पद को समस्त या सामासिक पद के नाम से जाना जाता हैं।
ध्यान रहे कि-समास में गौड़ पदो का संक्षिप्तीकरण होता हैं मुख्य पदों का नहीं। जैसे- लव और कुश का संक्षिप्त रुप लव कुश है। इसमें लव-कुश समस्त या सामासिक पद है इसी प्रकार विधान के लिए सभा का संक्षिप्त रुप विधान-सभा हैं। यहाँ विधानसभा समस्त या सामासिक पद हैं। समास में पद दो प्रकार के होते हैं।
1. पूर्वपद
2. उत्तर पद
इसके पहले पद को पूर्वपद तथा दूसरे पद को उत्तर पद के नाम से जाना जाता हैं।
समास विग्रह
समस्त या सामासिक पदों को अलग-अलग करने को विग्रह कहते हैं। विग्रह के परिणामस्वरुप मध्यवर्ती पदों की पुनः प्राप्ति हो जाती हैं।
जैसे- विधानसभा का विग्रह = विधान के लिए सभा
🔰 समास के प्रकार या भेद

1. अव्ययीभाव समास
इस समास में पहला पद अव्यय होता हैं तथा उसी पद की प्रधानता होती हैं।
➡️ यहाँ अव्यय का अर्थ है- जो व्यय न हो या जो खर्च न हो। ताप्तर्य यह कि- इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन या बदलाव न हो उसे अव्यय कहते हैं।
➡️ यथा, प्रति, उप, आ, ब, बे, बा इत्यादि अव्यय सूचक शब्द हैं।

NOTE- जहाँ पर पदों की आवृत्ति हो जाए वहाँ भी अव्ययीभाव समास होता हैं।
जैसे- धीरे-धीरे, रोते-रोते, गाते-गाते, हँसते-हँसते, दिनों-दिन, रातों-रात
2. तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास मे दूसरी या उत्तर पद की प्रधानता होती हैं। इसके समस्त या सामासिक पद किसी न किसी कारण चिन्ह से जुड़े होते हैं। तथा विग्रह करने पर इन कारक चिन्हों की प्राप्ति होती हैं।
कारक - (8)

हिन्दी में कारकों की संख्या 8 होती हैं। परन्तु तत्पुरुष समास में केवल 6 कारकों (कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबन्ध, अधिकरण) का ही प्रयोग होता हैं। इसमें कर्ताकारक तथा सम्बोधन कारक का प्रयोग नहीं होता हैं।
विभक्तियों के चिन्हों के आधार पर ही तत्पुरुष समास का नामकरण किया गया हैं। इस प्रकार विभक्ति के आधार पर तत्पुरुष समास के 6 भेद हैं।
1. कर्म तत्पुरुष समास
2. करण तत्पुरुष समास
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास
4. अपादान तत्पुरुष समास
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास
6. अधिकरण तत्पुरुष समास
i. कर्म तत्पुरुष समास-

ii. करण तत्पुरुष समास-

iii. सम्प्रदान तत्पुरुष समास-

iv. अपादान तत्पुरुष समास-

v. सम्बन्ध तत्पुरुष समास-

Question- निम्नलिखित में से किस शब्द में संधि और समास दोनों काम करते हैं-
1. राज भवन
2. राज महल
3. राज पुत्र
4. सूर्योदय ✔️(गुण संधि & सम्बन्ध तत्पुरुष समास)
vi. अधिकरण तत्पुरुष समास-

(क)कर्मधारय तत्पुरुष समास- इस समास में पहला पद प्रायः विशेषण होता हैं तथा दूसरा पद विशेष्य होता हैं। दूसरे पद के विशेष्य होने के कारण ही इस समास में दूसरे पद की प्रधानता होती हैं।
विशेषण & विशेष्य - संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं तथा विशेषण द्वारा जिस शब्द की विशेषता बतायी जाए उसे विशेष्य कहते हैं।
जैसे-

जहाँ पर एक पद उपमेय और दूसरा पद उपमान हो वहाँ भी कर्मधारय समास होता हैं। इसके विग्रह में सदृश शब्द का प्रयोग किया जाता हैं। सदृश का अर्थ है- समान दिखने वाला।
उपमेय & उपमान - जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाए उसे उपमेय कहते हैं तथा जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना किया जाए उसे उपमान कहते हैं।
जैसे-

(ख) द्विगु समास- (संख्यावाची द्विगे)- जिस समास में पहला पद संख्यावाची विशेषण होता है तथा जिसमें दूसरे पद की प्रधानता होती है उसे द्विगु समास कहते हैं। द्विगु समास के विग्रह में समाहार शब्द का प्रयोग किया जाता है। समाहार शब्द का अर्थ है- समूह/समुद्र
जैसे-

3. द्वन्द्व समास
द्वन्द्व का अर्थ है- युग्म या जोड़ा द्वन्द्व समास में प्रथम और दूसरे दोनों पद की प्रधानता होती हैं। इसके दोनों पद प्रायः और संयोजक से जुड़े होते हैं।
द्वन्द्व समास के भेद या प्रकार- द्वन्द्व समास के तीन भेद होते हैं।
1. इतरेतर
2. समाहार
3. वैकल्पिक
1. इतरेतर द्वन्द्व समास- इस समास में दोनों पद की प्रधानता होती हैं। दोनो पद और संयोजक अवयव से जुड़े होते हैं तथा एक पद पृथक-पृथक अस्तित्व रखते हैं।

2. समाहार द्वन्द्व समास- समाहार का अर्थ है- समूह | इस समास में भी दोनों पदों की प्रधानता होती है तथा दोनों पद और संयोजक अवयवों से जुड़े होते हैं परन्तु यह दोनों पद समूह का बोध करवाते हैं।
जैसे-

3. वैकल्पिक द्वन्द्व समास- इस समास के विग्रह में या, अथवा का प्रयोग किया जाता हैं इसके पद विपरीतार्थक होते हैं।
जैसे-

4. बहुब्रीहि समास
बहुब्रीहि समास में भी अन्य समासो की भाँति दो पद होते हैं। इसके पहले पद को पूर्वपद तथा दूसरे पद को उत्तरपद के नाम से जाना जाता हैं इस समास में न तो प्रथम पद की प्रधानता होती हैं और न ही दूसरे पद की बल्कि इन दोनों पदो के सहयोग से यह एक नया अर्थ देता हैं।
जैसे- चन्द्रशेखर समस्त या सामासिक पद है। इसमें पहला पद चन्द्र तथा दूसरा पद शेखर हैं। इसमें न तो चन्द्र का अर्थ लिया जाता हैं। और न ही शेखर का बल्कि इन्ही दोनो पदो के सहयोग से शंकर के रुप में एक नया अर्थ देता हैं ।अतः यह बहुब्रीहि समास हैं।
बहुब्रीहि समास में पहला पद प्रायः विशेषण होता हैं तथा इसका विग्रह पदात्मक न हो करके वाक्यात्तमक होता हैं।

1. समानाधिकरण बहुब्रीहि समास- समान विभक्ति वाले शब्दों को समानाधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं।
जैसे-

2. व्यधिकरण बहुब्रीहि समास- असमान विभक्ति वाले शब्दों को व्यधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं।
जैसे-

3. तुल्ययोग बहुब्रीहि समास/सह बहुब्रीहि समास- इस समास के विग्रह में सह(साथ) का प्रयोग होता हैं। परन्तु इसके समस्त या सामासिक पद में स हो जाता हैं।
जैसे-

4. व्यतिहार बहुब्रीहि समास- जहाँ पर घात-प्रतिघात सूचित हो वहाँ व्यतिहार बहुब्रीहि समास कहते हैं।
जैसे-


🔰 कर्मधारय समास तथा बहुब्रीहि समास में अन्तर- कर्मधारय समास में पहला पद दूसरे पद की विशेषता बताता है। जबकि बहुब्रीहि समास में दोनो पद मिलकर एक नया अर्थ देते हैं। कर्मधारय समास तथा बहुब्रीहि समास में अन्तर का आधार विग्रह है।
जैसे-

Question-पीताम्बर में समास है-
a. तत्पुरुष
b. कर्मधारय ✔️
c. द्विगु
d. अव्ययीभाव
Question- पीताम्बर में समास हैं-
a. तत्पुरुष
b. द्विगु
c. बहुब्रीहि ✔️
d. अव्ययीभाव
Question- पीताम्बर में समास है- (वरीयता में पहले बहुब्रीहि होगा)
a. तत्पुरुष
b. कर्मधारय
c. बहुब्रीहि ✔️
d. द्विगु
Question-पीताम्बर में समास है-
a. तत्पुरुष
b. कर्मधारय
c. बहुब्रीहि
d. b&cदोनों ✔️
🔰 द्विगु समास तथा बहुब्रीहि समास में अन्तर- द्विगु समास में पहला पद दूसरे पद की संख्या को बताता है जबकि बहुब्रीहि समास में दोनो पद अर्थ छोड़कर नया अर्थ धारण करते हैं। द्विगु समास तथा बहुब्रीहि समास में भी अन्तर का आधार विग्रह ही है।
जैसे- चतुर्भुज = चार भुजाएँ (द्विगु)
या चार है भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु (बहुब्रीहि)
🔰 संधि और समास में अन्तर-
1. संधि में दो वर्णों का मेल होता हैं जबकि समास में दो या दो से अधिक पदो का योग होता हैं।
2. संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करने को विच्छेद कहते हैं जबकि समास में विग्रह होता हैं।
3. संधि केवल तत्सम शब्दों में होता हैं जबकि समास तत्सम, तद्भव, उर्दू, फारसी इत्यादि शब्दों में होता हैं।
Question- निम्नलिखित में कौन-सा कथन असत्य हैं
1. संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करने को विच्छेद कहते हैं।
2. द्वन्द्व समास में दोनों पदों की प्रधानता होती हैं।
3. जिस समास में पहला पद विशेषण होता हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
4. संधि तत्सम तद्भव तथा उर्दु इत्यादि शब्दों में होता हैं ✔️
Question- किस समास में उत्तर पद की प्रधानता होती है?
a. तत्पुरुष
b. कर्मधारय
c. द्विगु
d. उपर्युक्त सभी ✔️
Question- निम्नलिखित में कौन तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
a. पीताम्बर
b. यथाशक्ति
c. राजपुत्र ✔️
d. उपर्युक्त में कोई नहीं