विशेषण
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। विशेषण एक विकारी शब्द है। जिस शब्द के साथ विशेषण का प्रयोग यह किया जाता हैं उसके अर्थ को सीमित या कम कर देता है। विशेषण का प्रयोग सकारात्मक या नकारात्मक दोनों रुपों में किया जाता हैं। विशेषण जिज्ञाषाओं को शांत करने में भी काम आता हैं
विशेषण की परिभाषा
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। विशेषण एक विकारी शब्द है। जिस शब्द के साथ विशेषण का प्रयोग यह किया जाता हैं उसके अर्थ को सीमित या कम कर देता है। विशेषण का प्रयोग सकारात्मक या नकारात्मक दोनों रुपों में किया जाता हैं। विशेषण जिज्ञाषाओं को शांत करने में भी काम आता हैं।
जैसे-

विशेष्य
विशेषण द्वारा जिस शब्द की विशेषता बतायी जाए उसे विशेष्य कहते हैं।
जैसे-

प्रविशेषण/अन्तर्विशेषण
विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द को प्रविशेषण कहते हैं।
जैसे-

विशेष्य तथा विशेषण में सम्बन्ध
विशेषण का प्रयोग दो रुपों मे होता है।
1. विशेष्य विशेषण
2. विधेय विशेषण
1. विशेष्य विशेषण- जब वाक्य में विशेषण का प्रयोग विशेष्य से पहले होता है तब उसे विशेष्य विशेषण कहते हैं।
जैसे-

2. विधेय विशेषण- जब वाक्य में विशेषण का प्रयोग विशेष्य के बाद तथा क्रिया के पहले होता है तब उसे विधेय विशेषण कहते हैं।
जैसे-

विशेषण के भेद
विशेषण 4 प्रकार के होते हैं।
1. सार्वनामिक विशेषण
2. गुण वाचक विशेषण
3. संख्या वाचक विशेषण
4. परिमाण वाचक विशेषण
1. सार्वनामिक विशेषण
जो सर्वनाम शब्द विशेषण की भाँति प्रयुक्त हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। सार्वनामिक विशेषण का प्रयोग संज्ञा के पहले होता हैं।
जैसे-

2. गुणवाचक विशेषण
जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, आकार, रंग इत्यादि का बोध होता है उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
विशेषणों में गुणवाचक विशेषणो की संख्या सबसे अधिक हैं।
जैसे- आकार- लम्बा, गोल, नुकीला, इत्यादि।
काल- वर्तमान, भूत, भविष्य अगला पिछला इत्यादि।
रंग- लाल, नीला, पीला इत्यादि।
स्थान- (ईय/ई)- भारतीय, अमेरिकी, जापानी गुजराती, पंजाबी इत्यादि।
3. संख्या वाचक विशेषण
जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति के संख्या का बोध होता है उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। संख्या वाचक विशेषण के 5 भेद होते हैं।
i. गणना संख्यावाचक विशेषण
ii. क्रम संख्यावाचक विशेषण
iii. आवृत्ति संख्यावाचक विशेषण
iv. समुदाय संख्यावाचक विशेषण
v. प्रत्येक संख्यावाचक विशेषण
i. गणना संख्यावाचक विशेषण-

ii. क्रमसंख्यावाचक विशेषण- पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा--------------- इत्यादि।
iii. आवृत्तिसंख्यावाचक विशेषण- दो गुना, तिगुना, चारगुना --------------
iv. समुदाय संख्यावाचक विशेषण- दोनों, तीनों चारों पाँचवे-----------------
v.प्रत्येकसंख्यावाचक विशेषण- प्रत्येक हर एक दो-दो
4. परिमाण वाचक विशेषण
जिस शब्द से किसी वस्तु के माप या तौल का बोध होता है उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं।
1. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
2. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
1. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिस शब्द से किसी वस्तु के परिमाण की निश्चितता का बोध होता है उसे निश्चिय परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
a. दो मीटर कपड़ा
b. चार गज जमीन
c. आठ किलो आटा
d. डलिया भर आम
2. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिस शब्द से किसी वस्तु के परिमाड की अनिश्चितता का बोध होता है उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
i. कुछ पानी
ii. कुछ आम
iii. बहुत पानी
iv. थोड़ा दूध
· तुलनात्मक विशेषण- जब दो या दो से अधिक वस्तुओं/व्यक्तियों की तुलना किया जाता है तब उसे तुलनात्मक विशेषण कहते हैं।
हिन्दी में से, सबसे, सबमें इत्यादि लगाकर तुलना किया जाता है। हिन्दी की यह तुलना अंग्रेजी की तुलना से कुछ मेल खाता है। जैसे- अंग्रेजी में Degree के तीन रुप होते हैं।
i. Positive Degree – good, large
ii. Comparative Degree- Better, larger
iii. Superlative Degree- Best largest
हिन्दी मे तुलना की तीन अवस्थाएँ होती हैं।
i. मूलावस्था (Positive Degree)
ii. उत्तरावस्था (Comparative Degree)
iii. उत्तमावस्था (Superlative Degree)
1. मूलावस्था- इस अवस्था मे किसी व्यक्ति/वस्तु की तुलना नही की जाती है बल्कि उसके गुण या दोष को बताया जाता है।
जैसे- दीपक अच्छा लड़का हैं।
सीता अच्छी लड़की है।
2. उत्तरावस्था- इस अवस्था में दो वस्तुओं/व्यक्तियों के गुण या दोष की तुलना की जाती है तथा उसमें से किसी एक को कम या अधिक बताया जाता हैं।
जैसे- हरि सौरभ से लम्बा हैं।
रीता, गीता से छोटी हैं।
3. उत्तमावस्था- इस अवस्था में किसी एक व्यक्ति/वस्तु को सबसे श्रेष्ठ या कम (निम्न) बताया जाता हैं।
जैसे- मोहन का घर सबसे अच्छा हैं।
बजरंगी सर्वाधिक बलवान् हैं।
हिन्दी में उत्तरावस्था का निर्माण “तर” प्रत्यय लगाकर तथा उत्तमावस्था का निर्माण “तम” प्रत्यय लगाकर किया जाता हैं।
जैसे-

विशेषण की संरचना
Rule- यदि किसी शब्द में इक प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है तो यदि उसका प्रथम स्वर अ है तो ‘आ’ में बदल जाता हैं। यदि इ/ई है तो ‘ऐ’ में बदल जाता हैं यदि उ/ऊ है तो ‘औ’ में बदल जाता हैं।
जैसे-

इक प्रत्यय का प्रयोग-

Rule - ई/ईय प्रत्यय लगाकर- कुछ संज्ञा शब्दों में ई/ईय प्रत्यय लगाकर विशेषण का निर्माण किया जाता हैं।
जैसे-


Question-सुरेन्द्र बहुत अच्छा लड़का है। वाक्य में रेखांकित शब्द है?
a. सार्वनामिक विशेषण
b. परिमाण वाचक विशेषण
c. गुण वाचक विशेषण ✔️
d. परिमाण और गुणवाचक विशेषण
Question- सफेद गाय बहुत दूध देती है। वाक्य में कितने विशेषण तथा विशेष्य हैं।
विशेषण = सफेद, बहुत
विशेष्य = गाय, दूध
Question- मोहन के घर में दो बैल, चार गाय और एक कुत्ता हैं। वाक्य में कितने विशेषण और कितने विशेष्य है
विशेषण = दो, चार, एक
विशेष्य = बैल, गाय, कुत्ता
Question- मेरे बगीचे में लाल, नीले और पीले फूल हैं। वाक्य में कितने विशेषण और विशेष्य हैं
विशेषण = लाल,नीले, पीले
विशेष्य = फूल